Sunday, October 20, 2019

अभी पिछेले हफ्ते की ही बात है,फ़ेसबुक के किसी ग्रुप पर किसी ने प्रश्न किया था के साहब मेरा 5 वर्ष का बच्चा है, बोलने में शब्द इधर से उधर कर देता है,बात नही सुनता,जैसा कहता हूँ वैसा नहीं करता,पढ़ाई में बिल्कुल ध्यान नहीं है।प्रतिप्रश्न में मैंने भी लिख दिया भाई आपका बच्चे वाला निर्णय गलत हो गया ,आपको रोबोट की आवश्यकता थी।बाकी कुछ लोगों ने इलाज भी लिख मारे ,कंसलटेंट का पता भी दे दिया ,अपना अड्रेस भी चिपका दिया।खैर गूगल बाबा का प्रसाद विधि पूर्वक सेवन न करने से ही ये दोष होता है।सामान्य रूप से ये पीड़ा हर किसी गूगल भक्त  माता पिता की है।
सामान्य रूप से 2 वर्ष के बच्चे का शब्दकोश 20 शब्दों के आसपास का होता है,बच्चे ने पहली बार मे जो समझा वही अंकित हो जाता है,उसमे परिवर्तन सामान्य रूप से 7 वर्ष की अवस्था मे होना शुरू होता है,हर एक बच्चे के लिए ये व्यवस्था अलग उम्र में अलग रूप में होती है,इसे एकीकृत कर के कोई व्यवस्था नही बनाई जा सकती मात्र अनुसरण रूपी अनुसंधान किआ जा सकता है।किसी भी बच्चे के सामान्य रूप से स्वस्थ होने का सामान्य लक्षण है उसका जिज्ञासु होना,आप मेरे मत से सहमत न हो भले,परन्तु मै अपने कक्ष में प्रवेश किये बच्चे के उछलकूद के आधार पर ही उसकी औषध की मात्रा का विनिश्चय आराम से कर लेता हूँ।शैतान बच्चे आराम से मुझसे प्रसन्न रहते हैं,क्योंकि उनको मात्र अर्क रूप के मधुर क्वाथ जैसे सूक्ष्म औषधियों से तुरंत आराम आ जाता है,इसके विपरीत अति सुस्त बच्चों को सदैव महुर्मुह वाली औषधी योजना करनी पड़ती है।
यंहा में सभी माता पिताओं से अनुरोध करना चाहता हूँ,बच्चे के लिए अपने प्रारम्भ काल में स्वास्थ्य को प्राप्त करना मूल उद्देश्य है,स्वस्थ शिशु से स्वस्थ बाल का निर्माण होगा ,जिसका मस्तिष्क स्वस्थ होगा वही शिक्षा को समग्र ग्रहण करने की पात्रता भी रखेगा।हमारा वैदिक धर्म भी उपनयन के लिए कम से कम 8 वर्ष ओर सामान्य रूप से 11 वर्ष की आयु को प्रस्तावित करता है।यह समय शिशुओं ,बालकों के लिए मात्र गणित और भाषा के प्रारंभिक सूत्रों को आत्मसात करने मात्र के लिए श्रेष्ठ होता है।अतः बच्चोंह को बच्चा ही रहने दें,विश्वविद्यालयों के पदवीधर न बनाएं,उन्हें खूब खेलने दें खूब खाने दें।कोई समस्या आये तो अपने आसपास के चिकित्सक से निसंकोच सलाह लें।सामान्य रूप से आयुर्वेदिक दिनचर्या का अभ्यास करें और अपने बच्चों को भी कराएं।
आपकी अनुभूतियाँ,मार्गदर्शन ,समस्या सभी आमन्त्रित हैं।

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